विक्रम-I रॉकेट (Vikram-I Rocket) [UPSC in Hindi]

vikram 1 roket in hindi

विक्रम-I रॉकेट (Vikram-I Rocket) एक छोटा, निजी क्षेत्र द्वारा बनाया गया, लांचिंग व्हीकल है। यह हाल ही में सफल परीक्षणों से गुजरा है। विक्रम रॉकेट भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भूमिका का बढ़ता योगदान का उदाहरण है।

इससे पहले ही, विक्रम-I रॉकेट (Vikram-I Rocket) ने तीसरे चरण के परीक्षण को 5 मई, 2022 को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस चरण को कलाम-100 का नाम भी दिया गया था। उम्मीद है की यह 2022 के अंत तक व्यावसायिक रूप से तैयार हो जायेगा।

विक्रम-I रॉकेट किसने बनाया है

विक्रम-I रॉकेट को निजी क्षेत्र की कंपनी स्काईरुट ऐरोस्पेस , जो की एक स्टार्ट अप के रूप में विकसित हुई है, ने बनाया है। स्काईरुट को इसरो के दो पूर्व इंजीनियरो ने बनाया है जिनका नाम चंदाना और डाका है।

skyroot, (Vikram-I Rocket)
Picture Source: Wikipedia

स्काईरुट की शुरुआत

स्काईरुट की शुरुआत स्काईरुट ऐरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड नामक स्टार्ट अप से 2005 में हुई थी। इससे पहले चंदाना ने देश के सबसे बड़े रॉकेट GSLV Mk – III जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया था।

डाका ने इसरो में फ्लाइट कंप्यूटर इंजीनियर के तोर पर काम किया है। स्काईरुट पहला ऐसा निजी क्षेत्र का स्टार्टअप है जिसने इसरो के साथ रॉकेट बनाने के लिए समझौता (MoU) किया है।

विक्रम-I रॉकेट की विशेषता

  • यह निजी क्षेत्र द्वारा विकसित नवीन तकनीक से बनाया गया एक छोटा लॉन्चिंग व्हीकल है , जो 225-315 किलोग्राम तक पेलोड को स्पेस में 500 किलोमीटर दुरी तक ले जाने में सक्षम है
  • विक्रम-1 बेहद मजबूत कार्बन फाइबर के ढांचे, उच्च ऊष्मा सुरक्षा प्रणाली और ठोस ईंधन के उपयोग से तैयार किया गया है
  • इसका उद्देश्य छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करना है
  • इसका नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है
  • स्काईरुट ऐरोस्पेस विक्रम सीरीज के अभी तीन और लॉचिंग व्हीकल बना रही है। भविष्य में विक्रम-2 जो 410-520 किग्रा पेलोड और विक्रम-3, जो 580-720 किग्रा पेलोड ले जाने में सक्षम होंगे

यह आर्टिकल आधिकारिक स्त्रोत जैसे प्रमाणित पुस्तके, विशेषज्ञ नोट्स आदि से बनाया गया है। निश्चित रूप से यह सिविल सेवा परीक्षाओ और अन्य परीक्षाओ के लिए उपयोगी है।

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