रामसर कन्वेंशन,1971(Ramsar Convention,1971) विश्वभर में फैली हुई नमभूमि (आर्द्रभूमि- Wetlands) और उससे सम्बद्ध जैवविविधता को संरक्षण करने का एक अंतर्राष्ट्रीय मिशन और प्रयास है। साथ साथ यह नमभूमि में विकास और सुधार की दिशा में भी काम करता है ताकि वैश्विक जैवविविधता का संरक्षण किया जा सके।
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संक्षेप में रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि के संरक्षण को बढ़ावा देने वाला एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। कन्वेंशन को 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था और 1975 में लागू हुआ।
- रामसर कन्वेंशन का उद्देश्य क्या है ?
- रामसर कन्वेंशन कब हुआ था ?
- रामसर कन्वेंशन कब लागू हुआ ?
- नमभूमि या आर्द्रभूमि क्या है ?
- नमभूमि जैवविविधता के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
- रामसर समझौते में कितने देश है ?
- मोंट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है ? [Montreux Record]
- भारत में रामसर कन्वेंशन की नमभूमियाँ
- भारत और रामसर कन्वेंशन
- रामसर कन्वेंशन की चुनौतियां क्या है ?
रामसर कन्वेंशन का उद्देश्य क्या है ?
इस मिशन का उद्देश्य है की पूरी दुनिया में फैले हुए नमभूमियों का इस प्रकार उपयोग और संरक्षण किया जाये ताकि सतत विकास सुनिश्चित हो। इसके लिए स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय रूप से यह मिशन सहयोग पाने के लिए प्रयास करता है।
इसकी तीन मूल बातें है जिनसे समझौता करने वाली संस्थाएँ और देश आपस में सहमत है :
- सभी आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग (“Wise Use” of Wetlands) की दिशा में कार्य करना
- अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि की सूची (रामसर सूची) के लिए उपयुक्त आर्द्रभूमि को नामित करना और उनका प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना
- ट्रांसबाउंड्री वेटलैंड्स, साझा वेटलैंड सिस्टम (internationally on transboundary wetlands) और साझा प्रजातियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना
रामसर कन्वेंशन कब हुआ था ?
1971 में ईरान में रामसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ उसी सम्मलेन में रामसर कन्वेंशन अस्तित्व में आया। इस सम्मलेन में नमभूमियों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता भी हुआ।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day)
2 फ़रवरी 1971 को रामसर सम्मेलन हुआ था इसलिए 2 फ़रवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है।
रामसर कन्वेंशन कब लागू हुआ ?
यह 1975 में लागू हुआ
नमभूमि या आर्द्रभूमि क्या है ?
रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि की व्यापक परिभाषा का उपयोग करता है। इसमें सभी झीलें और नदियाँ, भूमिगत जलभृत (underground aquifers), दलदल और मार्श (swamps and marshes), गीली घास के मैदान, पीटलैंड, ओसेस (oases), एश्चुरी (estuaries), डेल्टा और ज्वारीय फ्लैट (tidal flats), मैंग्रोव और अन्य तटीय क्षेत्र, प्रवाल भित्तियाँ और सभी मानव निर्मित स्थल जैसे मछली तालाब, जलाशयों और नमक पैन (salt pans), चावल के खेत (rice paddies) शामिल हैं।
नमभूमि जैवविविधता के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
आर्द्रभूमि सबसे विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं। वे आवश्यक पारितंत्र की सेवाएं प्रदान करते हैं और हमारे सभी ताजे पानी की आपूर्ति करते हैं। नमभूमि जैव विविधता में खाद्य श्रृंखला में और विकल्प उत्पन्न कर देती है जिस से समस्त पारितंत्र को मजबूती मिलती है और पारितंत्र इस प्रकार समस्त जीवों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुँचाता है जिसमे मानव जीवन भी लाभान्वित होता है।
वेटलैंड्स अनगिनत लाभों या “पारिस्थितिकी तंत्र सेवा” हैं जो वे मानव के साथ साथ पूरी जैवविविधता को प्रदान करते हैं, ताजे पानी की आपूर्ति, भोजन और निर्माण सामग्री, और बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण और जलवायु परिवर्तन शमन (कार्बन को सोखना) आदि।
फिर भी इसके कुछ लाभों का उदाहरण निम्न है :
- दुनिया की 40% प्रजातियां आर्द्रभूमि में रहती हैं।
- 40% से ज्यादा जानवर आर्द्रभूमि में प्रजनन करते हैं।
- आर्द्रभूमि “पृथ्वी के गुर्दे (kidneys of the earth)” हैं – वे वातावरण को साफ करते हैं।
- वेटलैंड्स “जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं” – वे भूमि आधारित कार्बन का 30% जमा करते हैं (Carbon Sink)
- वेटलैंड्स “आपदा जोखिम को कम करते हैं” – वे तूफान की वृद्धि को अवशोषित करते हैं।
रामसर समझौते में कितने देश है ?
अभी कन्वेंशन में 172 देश है। संयुक्त राष्ट्र के लगभग 90% सदस्य देश कन्वेंशन का हिस्सा हैं। इसकी लिस्ट यहाँ से आप देख सकते है। (क्लिक करे)
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है ? [Montreux Record]
रामसर सूची एक ऐसा रिकॉर्ड है जहाँ प्रत्येक भागीदार देश को अपनी नमभूमि का रिकॉर्ड रखना होता है। मोंट्रेक्स रिकॉर्ड ( Montreux Record ) इसी सूची का हिस्सा है। मोंट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record) भी एक सूची ही है जिसके अंतर्गत वे नमभूमि आती है जो मानव हस्तक्षेप या किसी और कारण जैसे प्रदुषण आदि से संकटग्रस्त हो चुकी है और जिन्हे बचाना आवश्यक है।
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में नमभूमि साइटों को हटाया और जोड़ा जा सकता है लेकिन इसके लिए कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज (Conference of Parties) में इसका अनुमोदन होना जरुरी है
भारत में रामसर कन्वेंशन की नमभूमियाँ
भारत में 47 (2021 तक) रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अनुमोदित नमभूमियाँ सूचीगत है। इनमे से चार आर्द्रभूमियाँ 2021 में जोड़ी गयी है। वर्षवार ये लिस्ट निम्न है :
आर्द्रभूमि वर्ष | वर्ष |
चिल्का झील (उड़ीसा), केवलादेव वेटलैंड (राजस्थान) | 1981 |
वुलर (कश्मीर), लोकटक (मणिपुर), हरिके (पंजाब), सांभर (राजस्थान) | 1990 |
कांजली वेटलैंड, रोपड़ वेटलैंड (पंजाब), कोलेरु (आँध्रप्रदेश), दीपोर बोल वेटलैंड (असम), पोंग बांध वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश), त्सो-मोरेरी वेटलैंड (लद्दाख), अष्टमुडी वेटलैंड, संसथामकोट्टा वेटलैंड, वेम्बनाद (केरल), भोज वेटलैंड (मध्यप्रदेश), भीतरकणिका मैंग्रोव (उड़ीसा), पॉइंट कलिमोर एंड पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), ईस्ट कोलकाता वेटलैंड (पश्चिम बंगाल) | 2002 |
चंद्रताल वेटलैंड, रेणुका (हिमाचल प्रदेश), होखेरा वेटलैंड, मानसर झील (जम्मू-कश्मीर), रुद्रसागर वेटलैंड (त्रिपुरा), ऊपरी गंगा नदी (उत्तरप्रदेश) | 2005 |
नल सरोवर पक्षी अभयारण्य (गुजरात) | 2012 |
सुंदरवन डेल्टा (पश्चिम बंगाल), नंदुर मदवेश्वर नासिक (महाराष्ट्र), नवाबगंज पक्षी अभयारण्य (उत्तर प्रदेश), केशोपुर मियानी कम्युनिटी रिज़र्व, नांगल, व्यास संरक्षण रिज़र्व (पंजाब), सांडी पक्षी अभयारण्य, समन पक्षी अभयारण्य, पार्वती-अरगा पक्षी अभ्यारण्य, समसपुर, समन पक्षी अभयारण्य, सरसई नवर झील (उत्तरप्रदेश) | 2019 |
आसन रिजर्व (उत्तराखंड), काबर ताल (बिहार), लोनार झील (महाराष्ट्र), सूर-सरोवर (उत्तरप्रदेश), त्सो-कर झील (लद्दाख) | 2020 |
भिंडवास वन्यजीव अभ्यारण्य, सुल्तानपुर राष्ट्रीय पार्क (हरियाणा), थोल झील, बाधवाना वेटलैंड (गुजरात) | 2021 |
भारत और रामसर कन्वेंशन
भारत में 47 रामसर साइट्स है जो करीब 1.08 मिलियन हेक्टेयर में पुरे देशभर में फैली हुई है। यह भारत को पूरे दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा देश बनाता है जिसके पास इतनी बड़ी संख्या में आर्द्रभूमि जो इतने बड़े क्षेत्रफल पर है।
भारत में रामसर साइट्स कौन नामित करता है ?
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) रामसर जगहों को नामित करने के लिए नोडल संस्था है।
भारत ने कब रामसर कन्वेंशन को अनुमोदित किया था ?
भारत ने 1982 में तत्कालीन प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी के आदेश पर रामसर कन्वेंशन की पुष्टि की, जिन्हें देश में कई प्रमुख पर्यावरण कानूनों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।
वित्त पोषण
वित्त पोषण राज्य के बजट के भीतर अंतर्निहित है और साथ ही चल रहे संरक्षण और विकास क्षेत्र के कार्यक्रमों के साथ अभिसरण के निर्माण और व्यवस्थित निगरानी द्वारा लीवरेज किया गया है।
भारत में आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए क्या कानून है ?
रामसर साइटों को आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है। कई गतिविधियां, जैसे आर्द्रभूमि को गैर-आर्द्रभूमि उपयोग में बदलना, ठोस अपशिष्ट डंप करना और अनुपचारित सीवेज का निर्वहन पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
अन्य गतिविधियों के लिए, विनियमन के एक स्तर की सिफारिश की जाती है, जिसे संबंधित राज्य / केंद्र शासित प्रदेश आर्द्रभूमि प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित किया जाना है। इसके अलावा, प्रत्येक रामसर साइट के पास एक प्रबंधन योजना होनी चाहिए जो बुद्धिमान उपयोग के मार्ग की रूपरेखा तैयार करे। मंत्रालय द्वारा ऐसी प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने के लिए एक नैदानिक दृष्टिकोण निर्धारित किया गया है।
इसके अलावा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 , पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 आदि भी आर्द्रभूमि को संरक्षित करने के लिए कानूनी माध्यम है।
रामसर कन्वेंशन की चुनौतियां क्या है ?
बढ़ती जनसँख्या और मांग ने विश्व को अपने संसाधन को तेजी से उपयोग करने का दबाव डाला है। इससे उपभोक्तावादी संस्कृति ने चीज़ो का बुद्धिमानी से उपयोग की जगह तेज़ी से उपयोग को बढ़ावा दिया है। इससे जैवविविधता पर नुकसान पंहुचा है।
तेज़ी से शरीकरण और बदलती जीवनशैली में विकासशील देशों में ताज़े पानी और भूमि की मांग ने नमभूमियों को नुकसान पहुंचाया है। इसके साथ साथ गरीब और विकासशील देशो में धन और निवेश की कमी भी एक प्रमुख चिंता का विषय है।
रामसर स्थलों को राष्ट्रीय आर्द्रभूमि कार्यक्रम में एक विशेष दर्जा दिए जाने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है।
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About the author
Ankita is German Scholar and UPSC Civil Services exams aspirant. She is a blogger too. you can connect her to Instagram or other social Platform.