केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अंतर सरकारी संधि, रामसर संधि, के तहत पांच और भारतीय स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है। इसके साथ ही देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 54 हो गई है। जिन पांच नए स्थलों को रामसर सूची में शामिल किया गया है, उनमें तमिलनाडु के तीन और मिजोरम तथा मध्य प्रदेश का एक-एक स्थान शामिल है।
मान्यता प्रदान किए गए नवीन रामसर स्थल:
- तमिलनाडु के आर्द्र भूमि स्थल : करिकिली पक्षी अभ्यारण, पल्लीकरणै मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव
- मिजोरम का आर्द्रभूमि स्थल : पाला आर्द्रभूमि
- मध्य प्रदेश का आर्द्रभूमि स्थल: सांख्य सागर
1. करिकिली पक्षी अभ्यारण (Karikili Bird Sanctuary)
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में यह चैंगलपट्टू के दक्षिण में चेन्नई से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित संरक्षित क्षेत्र है जहाँ इस अभ्यारण में 115 से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है।
![Karikili Bird Sanctuary, भारत ने 5 नए रामसर स्थल (India's New Ramsar Sites)](https://bugnews.in/wp-content/uploads/2022/08/Karikili-Bird-Sanctuary.jpg)
अभयारण्य 61.21 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और प्रसिद्ध वेदांतगल पक्षी (Vedanthagal Bird Sanctuary) अभयारण्य से सिर्फ 10 किमी दूर है। यह घूमने के लिए एक बहुत ही शांतिपूर्ण और खूबसूरत जगह है और कई प्रवासी पक्षियों का घर है जो सितंबर और अक्टूबर के बीच यहां आते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के बीच, अभयारण्य एक अद्भुत पिकनिक स्थल के रूप में भी कार्य करता है, जो पर्यटकों को चहकते पक्षियों के बीच आनंद लेने का मौका देता है।
अभयारण्य में पक्षियों की लगभग 115 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है जिसमें ग्रीब्स (Grebes), ग्रे पेलिकन (Grey Pelican, Cormorant), कॉर्मोरेंट (Cormorant), एग्रेट्स (Egrets), डार्टर (Darter), स्पूनबिल (Spoonbill), नाइट-हेरॉन (Night-heron) और व्हाइट इबिस (White Ibis) भी शामिल हैं। यह स्थान सभी पक्षी-देखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए या जो लोग अपने पक्षी-संबंधी ज्ञान को संतुष्ट करना चाहते हैं, उनके लिए यह स्थान स्वर्ग के समान है।
2. पल्लीकरणै मार्श रिजर्व फॉरेस्ट (Pallikaranai Marsh Reserve Forest)
चेन्नई, तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी के पास स्थित एक मीठे पानी का का दलदल (मार्श) है। यह शहर का एकमात्र जीवित आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र है जो दक्षिण भारत के कुछ और अंतिम से प्राकृतिक आर्द्रभूमि में से एक है।
![पल्लीकरणै मार्श रिजर्व फॉरेस्ट (Pallikaranai Marsh Reserve Forest), भारत ने 5 नए रामसर स्थल (India's New Ramsar Sites)](https://bugnews.in/wp-content/uploads/2022/08/Pallikarni-Mrash-wetlans.jpg)
पल्लिकरनई मार्श बंगाल की विशाल खाड़ी के विशाल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा है। यह कुछ प्राकृतिक तटीय जलीय आवासों में से एक है जो भारत में आर्द्रभूमि के रूप में स्थित है। पानी की मात्रा और मौसमी गतिशीलता ने पल्लिकरनई मार्श को जैव विविधता से भरपूर बना दिया है।
इसकी विशिष्ट पारिस्थितिकी भी मार्श को देश के सबसे विविध प्राकृतिक आवासों में से एक बनाती है। पल्लिकरनई मार्श की जैव विविधता विभिन्न जीवों के समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रजातियों की उपस्थिति से विशिष्ट है। जिनमें से पक्षी, मछलियां और सरीसृप प्रजातियां सबसे प्रमुख हैं।
कुछ सबसे लुप्तप्राय सरीसृपों जैसे रसेल वाइपर (Russel Viper) और दुर्लभ पक्षियों जैसे ग्लॉसी एलबिस (Glossy lbis), तीतर-पूंछ वाले जैकाना (Pheasant-tailed Jacana) आदि का प्राकृतिक आवास है। मार्श को सरीसृपों और पौधों के लिए नए रिकॉर्ड बनाने का भी गौरव प्राप्त है।
पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फ्लेमिंगो, कूट, मुनिया, स्ट्रोक, पेलिकन जैसे पक्षियों को देखने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। दलदली भूमि में मगरमच्छ भी होते हैं। पेरुंगुडी डंप यार्ड और पल्लावरम रेडियल रोड के कारण अभयारण्य में प्रदूषण से काफी नुकसान पंहुचा है।
3. पिचवरम मैंग्रोव (Pichavaram Mangroves)
तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में चिदंबरम के पास एक गांव में स्थित है। यह लगभग 1100 हेक्टेयर में विस्तृत मैंग्रोव भारत के सबसे बड़े मैंग्रोवों में से एक है। यहां के बायोटॉप में ऐविसेनिया (Avicennia) और राइजोफोरा (Rhizophora) जैसी विशेष प्रजातियां भी शामिल है।
![पिचवरम मैंग्रोव (Pichavaram Mangroves)](https://bugnews.in/wp-content/uploads/2022/08/Pichavaram-Mangroves.jpg)
पिचवरम मैंग्रोव वन दो प्रमुख मुहानो (estuaries), उत्तर में वेल्लर मुहाना (Vellar estuary) और दक्षिण में कोलेरून मुहाना (Coleroon estuary), के बीच स्थित है। वेल्लर-कोलरून मुहाना किलाई बैकवाटर (Killai backwater) और पिचवरम मैंग्रोव (Pichavaram mangroves) बनाता है।
बैकवाटर वेल्लर और कोलेरून नदी प्रणालियों द्वारा परस्पर जुड़े हुए हैं और रोइंग (rowing), कयाकिंग (kayaking ) और कैनोइंग (canoeing) जैसे पानी के खेलों के लिए प्रचुर गुंजाइश प्रदान करते हैं। पिचवरम जंगल न केवल वाटरस्केप और बैकवाटर क्रूज प्रदान करता है, बल्कि एक प्राकृतिक दुर्लभ दृश्य भी प्रदान करता है। यहाँ नौका विहार के लिए 400 से अधिक जल मार्ग उपलब्ध हैं।
4. पाला आर्द्रभूमि (Pala wetlands)
पाला आर्द्रभूमि मिजोरम के सियाहा जिले में स्थित है। आर्द्रभूमि निकटतम गांव फुरा से लगभग 6 किमी दूर स्थित है और मारा स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र के फुरा वन रेंज के अंतर्गत आता है। 1850 हेक्टेयर में फैला, पाला आर्द्रभूमि मिजोरम राज्य की सबसे बड़ी प्राकृतिक आर्द्रभूमि है। इस झील को स्थानीय लोग पलक दिल (Palak Dil) या पाला टीपो (Pala Tipo) कहते हैं।
![पाला आर्द्रभूमि (Pala wetlands)](https://bugnews.in/wp-content/uploads/2022/08/Pala-wetlands.jpg)
आर्द्रभूमि में दो छोटे आउटलेट हैं, जिनमें से एक का नाम टीपो डिडाओ (Tipo Didao) है, जो छोटी पाला नदी के साथ मिलती है। इससे पाला नदी का आकार बढ़ जाता है, जिससे यह आर्द्रभूमि के जलग्रहण क्षेत्र के आसपास के दो निचले गांवों के लिए पानी की आपूर्ति का मुख्य और निरंतर स्रोत बन जाता है।
पाला आर्द्रभूमि इस क्षेत्र में रहने वाले मारा जनजाति (Mara Tribal people) के लोगों के इतिहास से गहराई से जुड़ी हुई है। मौखिक इतिहास के अनुसार, कहा जाता है कि आर्द्रभूमि की उत्पत्ति ग्रामीणों को आतंकित करने वाले एक प्राचीन सांप के मरने के बाद हुई थी। यह मूल कहानी पीढ़ियों से चली आ रही है, जिससे निवासियों में आर्द्रभूमि और इसकी वनस्पति के प्रति संरक्षकता की भावना पैदा होती है।
मिजोरम में पाला आर्द्रभूमि विविध वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है, जिसमें लगभग वनस्पतियों की 225 से ज्यादा प्रजातियां, स्तनधारियों की 7 प्रजातियां, पक्षियों की 215 से ज्यादा प्रजातियां, सरीसृप की 21 प्रजातियां, उभयचरों की 11 प्रजातियां और मछली की 3 प्रजातियां शामिल हैं। आर्द्रभूमि कई विश्व स्तर पर खतरे वाली प्रजातियों को भी घर प्रदान करती है। जैसे कि सांभर हिरण (रूसा यूनिकोलर- Rusa unicolor), एशियाई काला भालू (उर्सस थिबेटानस – Ursus thibetanus), और धीमी लोरिस (निक्टिबेटस कूकांग – Nyctibetus coucang), और हूलॉक गिब्बन (Hoolock hoolock) आदि ।
हालांकि इसे वेटलैंड रिजर्व के रूप में वर्गीकृत किया गया है लेकिन यह साइट सड़कों और रेलमार्गों के निर्माण, शिकार और भूमि जानवरों के संग्रह, अवैध कटाई और लकड़ी की कटाई से खतरा महसूस कर रही है।
5. सांख्य सागर (Sankhya Sagar)
यह मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान के सुंदर पारिस्थितिकी का एक अभिन्न अंग है। साख्य सागर झील काफी बड़ी झील है । यह महादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित है और झील मनियर नदी पर से बनाया गया है । इसके बगल में भदैया कुंड है ।
सागर में पर्यटक पेडल और मोटर बोट प्राप्त कर सकते हैं। देखा जाये तो यह एक पर्यटक स्थल ज्यादा है जहाँ पर छुट्टियों और रविवार को अच्छी भीड़ मिल जाती है। सांख्य सागर में मगरमच्छ भी दिखाई दे सकते है। यदि आप भाग्यशाली हैं तो आप किनारे पर पेलिकन देख सकते हैं। माधव वन्यजीव पार्क इस झील के चारों ओर है और सफारी आपको तरोताजा कर देगी।
साल दर साल बारिश कम होने के कारण इस झील में भी पानी का स्तर गिर रहा है। माना जाता है कि यह झील शिवपुरी में लगभग 2.5 लाख की कुल आबादी में से लगभग 20% का जीवनयापन करती है।
यह आर्टिकल आधिकारिक स्त्रोत जैसे प्रमाणित पुस्तके, विशेषज्ञ नोट्स आदि से बनाया गया है। निश्चित रूप से यह सिविल सेवा परीक्षाओ और अन्य परीक्षाओ के लिए उपयोगी है।
Share and follow
अगर यह आर्टिकल आपको उपयोगी लगा तो इसे शेयर करना न भूले और नीचे दिए लिंक पर फॉलो भी करे
छोटा नागपुर पठार [Chota Nagpur Plateau]
छोटा नागपुर पठार (Chota Nagpur Plateau) पूर्वी भारत में एक पठार है, जो झारखंड राज्य…
Armageddon reedtail’ (Protosticta armagedonia) in the Western Ghats
Researchers at MIT-World Peace University have recently discovered a new damselfly species called ‘Armageddon reedtail’…
सवाना या उष्णकटिबंधीय घास मैदान (savanna or tropical grasslands)
सवाना (Savannah) समुदाय घास और बिखरे हुए पेड़ों का एक विशेष पारितंत्र है। सवाना सामान्य…
हरिपुरा अधिवेशन, 1938 -QnAs
क्या होता है शीतकालीन संक्रांति [Winter solstice]
21 या 22 दिसंबर को उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति (Winter solstice) होती है। उत्तरी…
गर्मी के मौसम में ब्लड प्रेशर क्यों कम हो जाता है ?
गर्मियों में हमें बहुत पसीना आता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती…