महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (continental drift theory) भूगोल में एक महत्वपूर्ण थ्योरी है जिसके कारण पृथ्वी पर महासागर, महाद्वीप, कटक आदि की उत्पत्ति और उसकी संरचना के बारे में व्याख्या सफलतम रूप से की जाती रही है।
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत किसने दिया ?
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की व्याख्या
- हिन्द महासागर कैसे बना
- अटलांटिक महासागर कैसे बना ?
- रॉकीज़ और दक्षिण में एंडीज वलित पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण कैसे हुआ ?
- हिमालय का निर्माण कैसे हुआ ?
- पैंजिया के टूटने का क्या कारण था ?
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का संक्षेप
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की प्रमाणिकता
PLEASE FOLLOW ON INSTAGRAM 👉️@mehra_ankita9
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत किसने दिया ?
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत प्रतिपादन प्रसिद्ध जर्मन भूगोलवेत्ता व विद्वान वेगनर ने 1920 में किया था। मूल रूप से यह सिंद्धांत जर्मन भाषा में था।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की व्याख्या
1920 में वेगनर ने पाया की वर्तमान महाद्वीपों की आकृति में समरूपता है। अतः सभी महाद्वीपों को अगर मिला दिया जाये तो यह आपस में मिलकर एक समरूप भौगोलिक भूखण्ड बनाएंगे अतः वेगनर ने पाया की सभी महाद्वीपों के भूखंडो में एक भौगोलिक समरूपता विद्यमान है।
वेगनर ने इस भौगोलिक समरूपता को एक साम्य स्थापना कहा जिसे जिग सा फिट ( Jig-Sa-Fit ) भी बोला जाता है ।
1. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत किस समय या भौगोलिक टाइमलाइन पर बात करता है ?
कार्बोनिफेरस युग की अवस्था की बात करता है
2. पैंजिया क्या है (what is pangea) ?
वेगनर मानते है की कार्बोनिफेरस युग में पृथ्वी के सभी ठोस स्थलखण्ड या सारे महाद्वीप एक साथ जुड़े हुए थे उनमे विखण्डन नहीं हुआ था। इस वृहत महाद्वीप या स्थलखंड को पैंजिया ( pangea ) नाम दिया गया।
पैंजिया के उत्तरी भाग को लॉरेशिया (अंगारालैंड) [Laurasia (Angaraland)] तथा दक्षिणी भाग को गोंडवानालैंड (gondwanaland) का नाम दिया गया।
3. पैंथालासा क्या है (what is Panthalassa) ?
कार्बोनिफेरस युग में पैंजिया जो एक अविखंडित महद्वीप या विशाल भूखंड था उसके चारो ओर विशाल जल राशि या विशाल महासागर था। इस विशाल महासागर को वेगनर ने पैंथलासा ( Panthalassa ) का नाम दिया गया।
4. पैंजिया का विभाजन कब शुरू हुआ ?
कार्बोनिफेरस युग में पैंजिया में काफी काम हलचल थी परन्तु बाद में यह भूगर्भिक बलों के कारण हलचल बढ़ती चली गयी। अंतिम ट्रिसायिक युग (last Triassic era) में अंततः पैंजिया का विभाजन शुरू हुआ।
5. टेथिस सागर (tethys sea) क्या था ?
जब अंतिम ट्रिसायिक युग में पैंजिया का विभाजन शुरू हुआ तब पैंजिया के उत्तरी भाग लॉरेंशिया तथा दक्षिणी भाग गोंडवाना बीच में से टूटना प्रारम्भ हुए। लॉरेशिया के उत्तरी तथा गोंडवाना के दक्षिणी भाग में खिसकने लगे जिसके करना पैंथलासा की जल राशि इन दोनों भूखंडो के बीच आ गयी। अतः टेथिस सागर का निर्माण हुआ जो एक सँकरी और उथली जलराशि थी इन दोनों भूखंडों के बीच में।
6. वर्तमान महाद्वीपों का निर्माण कब शुरू हुआ ?
लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अंतिम क्रिटेशियस युग में गोंडवाना का विभाजन शुरू हुआ और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, प्रायद्वीपीय भारत, ऑस्ट्रेलिया, मेडागास्कर आदि का निर्माण हुआ। इसी प्रकार अंगारालैंड टूट कर उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया बने।
हिन्द महासागर कैसे बना
प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी और प्रवाहित होने से हिन्द महासागर बना।
अटलांटिक महासागर कैसे बना ?
उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के एशिया और यूरोप की मुख्य भूमि से अगर और पच्छिम की और खिसकने के कारण अटलांटिक महासागर खुलने लगा।
रॉकीज़ और दक्षिण में एंडीज वलित पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण कैसे हुआ ?
इसी विस्थापन के कारण उत्तर में रॉकीज़ और दक्षिण में एंडीज वलित पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ।
हिमालय का निर्माण कैसे हुआ ?
एशिया की मुख्य भूखंड लॉरेशिया से बना हुआ था और गोंडवाना भूखंड लगातार उत्तर की ओर खिसक रहा था। दोनों भूखंडो में टक्कर से टेथिस सागर की भूसन्नति से अवसादी वलित पर्वतों की रचना हुई जो धनुष के आकृति (shaped like a bow) जैसे थी, इसे हिमालय का नाम दिया गया। इस टक्कर से एशिया कर यूरोप में अन्य अल्पाइन पर्वतों की भी रचना हुई।
पैंजिया के टूटने का क्या कारण था ?
वेगनर ने पैंजिया के टूटने का कारण गुरुत्व बल, प्लवनशीलता ( Force of Buoyancy )और ज्वारीय बल को माना है जिसके कारण पैंजिया में विभाजन के बाद भी गतिशीलता चलती रही।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का संक्षेप
वेगनर के अनुसार कार्बोनिफेरस युग में पैंजिया में हलचल अंतिम त्रिसायिक युग तक प्रबल हो गयी थी। जिसके कारण लॉरेशिया और गोंडवाना भूखण्डो का अस्तित्व बना। इसके बाद दोनों भूखंड खिसकने लगे जिसके फलस्वरूप वर्तमान महद्वीपों और महासागरों का अस्तित्व सामने आया।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की प्रमाणिकता
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत की प्रमाणिकता अन्य सिद्धांतो से काफी ज्यादा है क्योंकि इस सिद्धांत ने सफलतापूर्वक लगभक सभी भौगोलिक संरचनाओं की व्याख्या कर दी थी। लेकिन इस सिद्धांत को लगातार बदलाव किया गया। आने वाले समय में हैरी हैस ने प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत (theory of plate tectonics) की व्याख्या की।
फिर भी इस सिद्धांत की प्रमाणिकता निम्न रूप से की जा सकती है :
- सभी महाद्वीपों की आकृति में एक भौगोलिक समरूपता है। उदाहरण के लिए अफ्रीका का पश्चिमी तट और दक्षिणी अमेरिका का पूर्वी तट को आसानी से मिलाया जा सकता है (Jig-Sa-Fit)
- इसी प्रकार महाद्वीपों के तट पर मिलने वाली वनस्पति और जीवाश्मो के प्रकार लगभग एक जैसे ही है। उदाहरण के लिए ग्लोसोप्टिक वनस्पतियाँ के अवशेष भारत, मेडागास्कर, दक्षिणी अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में मिलते है
- डायनासोर और लेमिंग मछली के अवशेष कनाडा, ब्राज़ील, अंगोला के प्री कैम्ब्रियन पर्वत, जो एक ही काल में बने है, पर मिलना
ऐसा माना जाता है की जर्मन विद्वान वेगनर ने 1910 में ही इस सिद्धांत को जर्मन भाषा में लिख लिया था परन्तु रूढ़िवादी धार्मिक कारणों तथा तत्कालीन राजनीतिक कारणों से यह सिद्धांत 1920 में पहले विश्व युद्ध के बाद सामने आया। यद्यपि महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत विस्थापित बलों की व्याख्या करने में पीछे रह गया फिर भी यह हैरी हैस के प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत को विकसित करने में आधार बना।
भारत का भौतिक स्वरुप के बारे में और इस सिद्धांत से संबंध आप नीचे दिए गए यूट्यूब लिंक पर जाकर देख सकते है
PLEASE FOLLOW ON INSTAGRAM 👉️@mehra_ankita9
About the author
Ankita is German Scholar and UPSC Civil Services exams aspirant. She is a blogger too. you can connect her to Instagram or other social Platform.