किसी क्षेत्र या देश की अर्थव्यवस्था को जानने और दिशा का पता लगाने के लिए सूचकांक महत्पूर्ण होते है। इन सूचकांकों में परिवर्तन आधार वर्ष (Base year) द्वारा तय होता है। इस प्रकार, आधार वर्ष एक फर्म या अर्थव्यवस्था के विकास में एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। आधार वर्ष से तुलनात्मक अध्ययन संभव हो पाता है। यहां हम आधार वर्ष के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे जो आपकी सिविल सेवा की तैयारी के लिए सहायक होगा।
आधार वर्ष एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में
आधार वर्ष उस वर्ष को संदर्भित करता है जिसको आधार मानकर किसी सूचकांक श्रृंखला की गणना की जाती है। आम तौर पर इसका आरंभिक मान 100 मान लिया जाता है। संक्षेप में इसे किसी एक सूचकांक श्रृंखला के निर्माण के लिए प्रारंभिक बिंदु मान सकते है।
उदाहरण के लिए, मान ले किसी सूचकांक के निर्माण में, सरकार 2011-12 के आधार वर्ष का उपयोग करती है तो इसे आधार 100 के स्तर पर मान लिया जायेगा मतलब 2011-12 में सूचकांक 100 स्तर पर है। अब यही 2012-13 में सूचकांक 104.4 होता है तो यह स्पष्ट है की 4.4% सूचकांक में परिवर्तन हुआ है। यह परिवर्तन किसी भी क्षेत्र, जिसका सूचकांक है, के विकास को दर्शा सकता है।
भारत में विभिन्न आर्थिक संकेतकों का आधार वर्ष
आधार वर्ष (Base year) की कीमतों को स्थिर कीमतों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे सभी डेटा को एक समान आधार रेखा, आधार वर्ष मूल्य तक कम कर देते हैं। आधार वर्ष को नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित किया जा सके, जैसे कि सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण (Manufacturing) का बढ़ता प्रतिशत। यदि आधार वर्ष को नियमित रूप से अद्यतन किया जा सकता है तो डेटा अधिक सटीक होगा।
आधार वर्ष में परिवर्तन कौन करता है
भारत सरकार द्वारा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) आधार वर्ष गणना व अनुशंसा के लिए अधिकृत है। जीडीपी के लिए इसे 2011-12 से 2017-18 में परिवर्तित करने का विचार चल रह रहा है
यह आर्टिकल आधिकारिक स्त्रोत जैसे प्रमाणित पुस्तके, विशेषज्ञ नोट्स आदि से बनाया गया है। निश्चित रूप से यह सिविल सेवा परीक्षाओ और अन्य परीक्षाओ के लिए उपयोगी है।
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