कुषाण साम्राज्य, कनिष्क के समय उच्चतम शिखर पर पहुंच गया था क्योंकि कनिष्क सहिष्णु और शांतिप्रिय शासन स्थापित करने में सफल रहा और इसके काल में विभिन्न क्षेत्रों से जैसे हेलेनिस्टिक, ईरानी, रोमन और भारतीय शैलियां मिश्रित हो गई। इस तरह कनिष्क ने बुद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण भी दिया जिसने शांति और कला के लिए नए द्वार खोल दिए।
गांधार शैली कैसे भिन्न थी ?
शांतिपूर्ण शासन, बुद्ध के प्रति आध्यात्मिक झुकाव और कुषाण राज्य का स्थायित्व गांधार कला के विकास का आधार बना। हजारों बुद्ध के अनुयायियों के साथ-साथ बड़ी तादाद में गिल्ड भी गांधार की तरफ आकर्षित हुए और गांधार की तरफ चल पड़े। कनिष्क का शांतिप्रिय शासन ने कला को विकसित करने का मौका दिया और इस तरह ईरानी और हेलेनिस्टिक कलाएं हिंदूकुश और गांधार शेत्र में मिश्रित हो गई, इसे गांधार शैली कहा गया।
गांधार शैली क्योंकि मिश्रित प्रभाव से उत्पन्न हुई थी अतः इसमें रोमन, भारतीय, ईरानी हेलेनिस्टिक प्रभाव दिखाई पड़ता है जैसे बुद्ध की आदमकद मूर्तियों में बुद्ध के घुंघराले बाल व चेहरा रोमन शैली से प्रभावित है।
बनियान में बने मठ विहार इस भारत के बुध मठ बिहार ओं से बड़े हैं जैसे गुलधारा का मठ जो अफगानिस्तान में स्थित है। इस शैली के स्तूप शेष भारत के स्तूपो से लंबे व अलंकृत हैं। मठ विहार आकृति पर एक छातानुमा अलंकार है साथ-साथ इसके चारों ओर बड़े चौकोर गलियारे भी हैं।
कनिष्क काल के पतन के बाद गांधार कला का क्या हुआ ?
श्वेत हूण, जो मध्य एशिया पश्चिम से आए थे, कुषाण साम्राज्य का पतन किया। इससे गांधार कला में ईरानी प्रभाव पड़ा और ज्यादा हो गया। हिंदू कुश के पर्वतों में व्यापारी तथा बौद्ध भिक्षुओं ने ठहरने के लिए पर्वतों में और ज्यादा मठ बनाएं। तक्षशिला और बैट्रिया शेत्र से अनेक आवाजाही रही। इस दौरान बमियान में काफी मूर्तियाँ बनी, जिसमें बुद्ध की मूर्तियां ज्यादा थी, को अलंकृत किया गया। हालांकि इसका बाद में इस्लाम उदय के बाद गांधार कला का पतन शुरू हो गया, जिसमें मंगोल आक्रमण से काफी क्षति हुई।
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