ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप की खोज डचमैन विलेम जांज़ून (Dutchman Willem Janszoon) ने 1606 ईस्वी में की थी और तब इसका नाम “न्यू हॉलैंड (New Holland)” भी रखा गया था। हालांकि, डचों ने महाद्वीप पर अंदर तक खोज नहीं की और न ही ऑस्ट्रेलिया में बसने का प्रयास किया इसलिए जब जेम्स कुक 1770 ईस्वी में … Read More “क्यों ऑस्ट्रेलिया को एक सुदूर जेल के रूप में बसाया गया था ?” »
Category: इतिहास
facts and concepts related to Indian history and world history
1554 में स्पेन के फिलिप-II ने इंग्लैंड की मैरी ट्यूडर से विवाह कर लिया किंतु वह इंग्लैंड में कभी लोकप्रिय नहीं हो पाया था। एलिजाबेथ के सत्ता में आने के बाद (1558 ईस्वी) से स्पेन में उसका प्रभाव कम हो गया था। जब एलिजाबेथ ने फिलिप के विवाह प्रस्तावों को ठुकरा दिया तो फिलिप ने … Read More “फिलिप द्वितीय, एलिज़ाबेथ एवं इंग्लैंड का प्रभुत्व” »
फ्रांसीसी क्रांति तथा नेपोलियन ने इटली पर अनेक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ें। नेपोलियन ने इटली को संवैधानिक तथा उदार सुधार किये। इटली के निवासियों ने नेपोलियन का स्वागत एक संकटमोचक या परिमोचक के रूप में किया था। उन्होंने ऑस्ट्रिया की हार पर खुशियां मनाई क्योंकि ऑस्ट्रिया इटली की राह में सबसे बड़ी बाधा ही नहीं था … Read More “फ़्रांसिसी क्रांति और नेपोलियन का इटली के एकीकरण पर प्रभाव” »
यूरोप के इतिहास में 19वीं शताब्दी में इटली का एकीकरण (1815-17) एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथा रोचक घटना थी क्योंकि यह एक ऐसा देश था जिसने प्राचीन काल में यूरोप के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका निभाई थी और जहाँ यूरोप की एक बहुत ही वैभवशाली प्राचीन सभ्यता का विकास हुआ था, … Read More “इटली का एकीकरण (1815-70) [Italy ka Ekikaran]” »
व्यपगत के सिद्धांत (Doctrine of Lapse) को शांतिपूर्ण विलय (Annexations of Peace) भी बोलते है। व्यपगत का सिद्धांत के अनुसार लार्ड डलहौजी ने औपनिवेशिक भारत की कुछ महत्वपूर्ण रियासतें ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर ली। डलहौज़ी देसी रियासतों के बारे क्या सोचता था ? डलहौजी यह मानता था की झूठे रजवाड़ों और कृत्रिम मध्यस्थ शक्तियों … Read More “व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of lapse)” »
प्राचीन भारतीय राजनीति शास्त्र में राज्य को उपमा के तौर पर एक ऐसा प्राणी या शरीर मानने की परंपरा रही है जिसके अंग या प्रकृति होती हैं। अतः प्राचीन भारतीय राज्य शासन ने राज्य को सप्त-राज्य प्रकृति अथवा सप्तांग राज्य कहा है। कौटिल्य ने भी सर्वसम्मत अनुसरण करते हुए राज्य के अग्र लिखित सात अंग … Read More “कौटिल्य के सप्तांग राज्य की अवधारणा” »
क्रिप्स मिशन के वापस लौटने के उपरांत गांधीजी ने एक प्रस्ताव तैयार किया जिसमें अंग्रेजों से तुरंत भारत छोड़ने तथा जापानी आक्रमण होने के भय से भारतीयों से अहिंसक असहयोग (भारत छोड़ो आंदोलन) का आव्हान किया था। कांग्रेस कार्यसमिति ने वर्धा की अपनी बैठक, 14 जुलाई 1942, में संघर्ष के गांधीवादी प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति … Read More “भारत छोड़ो आंदोलन के कारण [Bharat Chodo Andolan]” »
इस लेख में वेलेजली और सहायक संधि प्रणाली [Sahayak Sandhi] के बारे में बताया गया है, जिसने कंपनी और ब्रिटिश सत्ता को भारत में लम्बे समय तक पैर ज़माने का आधार दे दिया था। वेलेजली (lord wellesley) ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राजनीतिक परिधि में लाने के लिए सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया। इससे … Read More “वेलेजली और सहायक संधि प्रणाली [Sahayak Sandhi] (Subsidiary Alliance)” »
लार्ड वेलेजली (1798-1805) एक प्रतिभाशाली गवर्नर जरनल था, जिसने अंग्रेजी शासन को भारत में अभूतपूर्व विस्तार दिया। इसका व्यक्तित्व, जोश और विश्वास ने इसकी प्रतिभा को और ज्यादा निखार दिया क्योकि भारत की चुनौती इसकी कार्यप्रणाली और बुद्धि के लिए सही कार्यक्षेत्र थी। लार्ड वेलेजली का भारत में समय काल लार्ड वेलेजली का भारत में … Read More “लार्ड वेलेजली का भारत आगमन के दौरान सोच और व्यक्तित्व [lord wellesley]” »
कुषाण साम्राज्य, कनिष्क के समय उच्चतम शिखर पर पहुंच गया था क्योंकि कनिष्क सहिष्णु और शांतिप्रिय शासन स्थापित करने में सफल रहा और इसके काल में विभिन्न क्षेत्रों से जैसे हेलेनिस्टिक, ईरानी, रोमन और भारतीय शैलियां मिश्रित हो गई। इस तरह कनिष्क ने बुद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण भी दिया जिसने शांति और कला के … Read More “कनिष्क और गांधार कला [Kanishk and Gandhara art]” »