यह बच्चे के अधिकारों के लिए लड़ने वाला देश का सबसे लंबा आंदोलन है। इसकी शुरुआत 1980 में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने की थी। इसका उद्देश्य पुनर्वास, प्रत्यक्ष हस्तक्षेप, सामूहिक प्रयासों और बच्चों के लिए एक सुलभ समाज प्रदान करना, उन्हें पुनर्स्थापित करना, उन्हें शिक्षित करने के लिए कानूनी कार्रवाई के माध्यम से गुलामी से मुक्त बच्चो के लिए प्रयास करना है
बचपन बचाओ आंदोलन एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है जो मुख्य रूप से बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम को समाप्त करने, साथ ही सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा अधिकार की मांग करता है।
2014 में कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसुफजई को बचपन की शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

यह ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ (World Day Against Child Labour) यानी 12 जून के दिन ‘बाल पंचायत’ का आयोजन करता है।
यह खबरों में क्यों था ?
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाल कल्याण केंद्रों से संबंधित एक याचिका के संदर्भ में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। कोविद -19 के प्रकोप के मद्देनजर बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि बाल गवाहों के बयान बाल कल्याण केंद्रों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से, अदालत में बुलाने के बजाय, दर्ज किया जाना चाहिए।